Monday 11 June 2012

कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू..

अपनी यह कहानी तुमको , कैसे मै सुनाऊ यारो
अश्को के इस दरिया में, मोती कैसे दिखाऊ प्यारो
गम है हजार दिल में पर , मै मुस्कुराता रहता हू
रूठा है रुब मुझसे मेरा, और मै मनाता रहता हू
***
सोचता हू मै भी कभी , अपना एक घर बसाऊंगा
मेरी तो कीमत ही क्या है, मै क्या ख्वाब सजाऊंगा
रोता हू दिल ही दिल में मै , पर कहता रहता हू
तुम हंसो, सबको हंसाओ, मै भी तो हँसता रहता हू
***
हंसती है किस्मत मेरी, कहकर मुझे जोकर यहाँ
जीता हू मर-मर के मै , खाकर रोज ठोकर यहाँ
देकर भी सुबकुछ अपना मै, कुछ नहीं पाता हू
कुछ भी हो नाम मेरा, मै जोकर ही कहलाता हू

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