Sunday 10 June 2012

वो छोड़ गए तनहा हमको..

नजरो में अपनी हमने , एक तस्वीर बसाई थी जिनकी
वो छोड़ गए तनहा हमको, यह प्रीत लगाई थी जिनकी

राहो में खुशबू थी बिखरी, जहा जहा से गुजरे थे वो
अब तो बस यादे है उनकी, यह राह बनाई थी जिनकी

थे कभी रौशन गुलिस्ताँ, आज है बिरानी का आलम
उनसे अब रूठा गुलशन, यह गुलज़ार लगाई थी जिनकी

कभी सपनो की बस्ती में , था अरमानो का महल हमारा
जल गए अरमां सब उनमे, यह आग लगाई थी जिनकी

उठती थी इस दिल में भी, उमंगो की कुछ ऊंची लहरे
अब तो बस टूटे धड़कन, कभी दिल में बसाई थी जिनकी

देख यू ही किस्मत को अपनी, हम भी थे कुछ इतरा जाते
अब नही मिटती लकीरे, कभी हाथो से मिलाई थी जिनकी

थे बसे नस नस में मेरे, अब तो निकले बस जान है
ले गए वो साँस हमारी, कभी अपनी बनाई थी जिनकी

न देखा था हमने कभी, जख्मो को यू बनते नासूर
अब तो उनमे ही मरहम है, यह चोट लगाई थी जिनकी

कर गुजरा था कुछ भी मै, बिन समझे उनके इशारे
अब तो लटका हू उसमे, यह सलीब बनाई थी जिनकी

नजरो में अपनी हमने, एक तस्वीर बसाई थी जिनकी
वो छोड़ गए तनहा हमको, यह प्रीत लगाई थी जिनकी

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